Saturday 28 April 2018

सहमा-सहमा सा दिल है
तेरे आने की उम्मीद है
जला कर रखता हुँ चराग
मेरी आँखों के
कहीं खत्म ना हो जाए
इंतजार
जल ना साँसों की बाती
तेरे आने से पहले
तमन्ना भर है तेरे दीदार की
ये आखरी ख्वाईश है तेरे यार की
सुकून से सो जाऊँगा एक दिन
तेरी बातें करते करते
कहीं खत्म ना हो जाए इंतजार
वक्त रहते रहते

राज स्वामी

Friday 20 April 2018

क्षणिका-बीमार

करता हुँ दुआ कहीं बीमार ना पड़ जाऊँ 
लग ना जाए पिता के खून पसीने की कमाई 
जोड़ते हैं पाई-पाई जो 
दो वक्त की रोटी के लिए 

राज स्वामी

Sunday 15 April 2018

माँ

मत मारो मुझे 
मैं माँ हुँ 
जिसकी कोख में पलते हो तुम 
कभी कभी नाज भी करते हो 
कभी कभी नाराज भी होते हो 
मुझे सब मंजूर है पर 
मत मारो मुझे 
मैं माँ हुँ 
मैं तंग आ गई इस जिवन मरण से 
कभी मुझे कोख में मारा 
कभी मुझे भरे बाज़ार मारा 
मेरी इज्जत तार तार करते हो 
मत मारो मुझे 
मैं माँ हुँ 
क्यों इतनी हवस भरी पड़ी है 
ये माँ जीते जी मरी पड़ी है 
क्या यही संस्कार दिये थे मैने 
रहम करो रहम करो पुकार सुनो 
मत मारो मुझे 
मैं माँ हुँ 
ड़र लगता है अब अपनों से भी 
भरोसा उठ रहा है मेरा सबसे 
विनास होने वाला है 
संभल जाओ मेरी इज्जत बचाओ 
मत मारो मुझे 
मैं माँ हुँ 

राज स्वामी 

Wednesday 11 April 2018

नारी ••••

इज्जत को उछाला जा रहा है 
जिस्म पर कपड़ा डाला जा रहा है 
हम ही है इज्जत तेरे घर की 
और हम पर ही कीचड़ डाला जा रहा है 

ना जीत होगी ना हार होगी तुम्हारी 
बिन बात के घर में विघन डाला जा रहा है 

गली में एक दिन हँस क्या दिये 
कोहराम हो गया 
आज मेरी हार बात पर पहरा डाला जा रहा है 

किस्से हमने भी सुने है तेरी मोहब्बत के 
बाजार में 
इल्जाम हम पर है और घर किराये पर डाला जा रहा है 

राज स्वामी 

नई कविता- इस हफ्ते

सहमा-सहमा सा दिल है तेरे आने की उम्मीद है जला कर रखता हुँ चराग मेरी आँखों के कहीं खत्म ना हो जाए इंतजार जल ना साँसों की बाती तेरे आन...

इस महीने की गज़ल