Saturday 28 April 2018
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नई कविता- इस हफ्ते
सहमा-सहमा सा दिल है तेरे आने की उम्मीद है जला कर रखता हुँ चराग मेरी आँखों के कहीं खत्म ना हो जाए इंतजार जल ना साँसों की बाती तेरे आन...
इस महीने की गज़ल
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मत मारो मुझे मैं माँ हुँ जिसकी कोख में पलते हो तुम कभी कभी नाज भी करते हो कभी कभी नाराज भी होते हो मुझे सब मंजूर है पर मत मारो ...
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सहमा-सहमा सा दिल है तेरे आने की उम्मीद है जला कर रखता हुँ चराग मेरी आँखों के कहीं खत्म ना हो जाए इंतजार जल ना साँसों की बाती तेरे आन...
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करता हुँ दुआ कहीं बीमार ना पड़ जाऊँ लग ना जाए पिता के खून पसीने की कमाई जोड़ते हैं पाई-पाई जो दो वक्त की रोटी के लिए राज स्वामी
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